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Candy Review: सस्पेंस और क्राइम का बढ़िया कॉकटेल, शुरू से अंत तक बांधे रखती है यह वेब सीरीज

Candy Review: सस्पेंस से आनंदित होने वाले दर्शकों को इस वेब सीरीज में मजा आएगा. हत्यारा कौन, जैसा सवाल कैंडी में शुरू से आखिर तक बना रहता है. आसानी से नहीं सुलझता.

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खूबसूरत पहाड़ी वादियों में युवा लड़के-लड़कियों का स्कूल हो, इन्हें तेज संगीत में झुमाने वाली नशे की गोलियां हो, कुछ मूडी-सनकी-संदिग्ध दिखते किरदार हों, एक के बाद एक मर्डर सामने आएं और तब शक किस पर तो पता चले कि वादियों में कोई है लाल आंखों-नुकीले सींगों वाला जो अंधेरे में निकलता है. ऐसे में किसी भी सस्पेंस थ्रिलर के लिए पूरा मसाला अपने आप तैयार हो जाता है. निर्देशक आशीष आर. शुक्ला की कैंडी में यह सब है. वूट सेलेक्ट पर आई आठ कड़ियों की वेब सीरीज कैंडी शुरू से रफ्तार पकड़ती है और दर्शक को अंत तक सस्पेंस में उलझाए रखती है. अगर आप ऐसे कंटेंट के शौकीन हैं, जिसके कुछ ही मिनटों में मर्डर के साथ यह सवाल सामने आता है कि हत्यारा कौन, तो आपको कैंडी में बड़ा रस आएगा. सीरीज के शुरुआती मिनटों में रुद्र कुंड के रुद्र वैली स्कूल में पढ़ने वाले मेहुल अवस्थी की लाश जंगल में एक पेड़ पर टंगी मिलती है. हर तरफ हंगामा हो जाता है. डीएसपी रत्ना संखवार (ऋचा चड्ढा) सरकारी ढंग से जांच करती है और टीचर जयंत पारिख (रोनित रॉय) अपने अंदाज में सुबूत जुटाते हैं. मामला तब उलझता है, जब सामने आता है कि मेहुल की हत्या किसी व्यक्ति ने नहीं बल्कि जंगल में रहने वाले वाले कुरूप-विशालकाय-रहस्यमयी राक्षसनुमान मसान ने की है. मसान बरसों बाद वापस आया है. अब वह और कितनों की जान लेगा. मसान के पुराने किस्से भी खुलते हैं कि कब-कब उसने किस-किस को मारा. किन लड़कियों का रेप किया. मसान का शिकार हुई लड़कियों की गर्दन पर एक खास निशान बन जाता है. आज के जमाने में क्या मसान जैसा रहस्यमयी प्राणी होने का विश्वास किया जा सकता है? मेहुल की मौत के साथ यह बात भी सामने आती है कि रुद्रकुंड कि विधायक रनौत (मनु ऋषि चड्ढा) का बेटा वायु (नकुल रोशन सहदेव) स्कूल के बच्चों को अपनी कैंडी फैक्ट्री की नशीली गोलियां खिला रहा है. वह खरगोश का मुखौटा पहने एक क्लब चलाता है. वायु बिगड़ैल है. क्या वह मसान है?



यहां और भी किरदार हैं. मेहुल के साथ जंगल में गई और मसान से बमुश्किल बच पाई कल्कि रावत (रावत), मेहुल की बुरी तरह रैगिंग करने वाले तीन लड़के संजय, इमरान, जॉन. कल्कि का माली पिता, स्कूल का प्रिंसिपल, स्कूल का काउंसलर, विधायक रनौत और उसके कुछ आदमी. पहाड़ों में भूत-प्रेतों की कहानियां बहुत होती हैं. सच कितनी होती हैं, किसी को नहीं पता. कैंडी इसका फायदा उठाती है. मसान के बहाने जंगल के हादसे, कैंडी फैक्ट्री और वायु के नशे का कारोबार खुलता है. उधर, नशे की बात थाईलैंड तक पहुंचती है जब डीएसपी रत्ना कहती है कि एक्स66 ड्रग पांच-छह साल पहले वहां से सीधे रुद्रकुंड आ गया. इसे कौन लाया? क्या उसका मसान से कोई कनेक्शन है या फिर जंगल के हादसों और नशे के कारोबार में कोई कनेक्शन नहीं है? तब मसान का सच क्या है? कैंडी शुरू से अंत तक सधी रफ्तार में चलती है लेकिन आखिरी के दो एपिसोड किसी रोलर कॉस्टर जैसा मजा देते हैं. किरदारों को सामने रखकर शक की सुई दाएं-बाएं फर्राटे से कंपकंपाती है. जब लगता है कि मसान का रहस्य खुला कि तभी नया ट्विस्ट आता है. रुद्रकुंड मौत का कुंड बन जाता है. कैंडी का एकमात्र उद्देश्य दर्शकों को सस्पेंस में बांधे रखना है और वह इसमें सफल है.

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